नाथ सम्प्रदाय : एक परिचय
नाथ सम्प्रदाय का उदय यौगिक क्रियाओं के उद्धार के लिए हुआ था। जब तान्त्रिकों और सिद्धों के चमत्कार एवं अभिचार बदनाम हो गये, मद्य, माँस आदि के लिए तथा सिद्ध, तान्त्रिक आदि स्त्री-सम्बन्धी आचारों के कारण घृणा की दृष्टि से देखे जाने लगे तथा जब इनकी यौगिक क्रियाएँ भी मन्द पड़ने लगीं, तब 'नाथ सम्प्रदाय' का उदय हुआ।
यह सम्प्रदाय आदिनाथ भगवान शंकर द्वारा प्रवर्तित सम्प्रदाय है और सर्वप्रथम उनके नाम के साथ यह पद प्रयुक्त हुआ है।
इस सम्प्रदाय को नाथ सम्प्रदाय की संज्ञा से प्रसिद्ध होने से पूर्व इसे सिद्धमत, सिद्धमार्ग, योगमार्ग, योगी सम्प्रदाय, अवधूत मत, अवधूत सम्प्रदाय, कापालिक आदि नामों से जाना जाता रहा है और आज भी ये नाम प्रचलन में है। इनमें से कापालिक संज्ञा के स्थान पर कहीं-कहीं अघोरी पद का प्रयोग किया जाता हैं, किन्तु इनमें सर्वाधिक प्रयोग होने वाले पद नाथ और योगी ही हैं।
नाथपन्थी योगी अलख (अलक्ष) जगाते हैं। इसी शब्द से इष्टदेव का ध्यान करते हैं। इन मन्त्रों का लक्ष्य वही प्रणवरूपी परम पुरुष है, जो वेदों और उपनिषदों का ध्येय है। नाथपन्थी जिन ग्रन्थों को प्रमाण मानते हैं, उनमें सबसे प्राचीन हठयोग सम्बन्धी ग्रन्थ 'घेरण्डसंहिता' और 'शिवसंहिता' हैं। गोरक्षनाथ कृत हठयोग, गोरक्षनाथ ज्ञानामृत, गोरक्षकल्प, गोरक्षसहस्रनाम, चतुरशीत्यासन, योगचिन्तामणि, योगमहिमा, योगमार्तण्ड, योगसिद्धान्त पद्धति, विवेकमार्तण्ड, सिद्ध-सिद्धान्त पद्धति, गोरखबोध, दत्त गोरख संवाद, गोरखनाथजी रा पद, गोरखनाथ के स्फुट ग्रन्थ, ज्ञानसिद्धान्त योग, ज्ञानविक्रम, योगेश्वरी साखी, नरवैबोध, विरहपुराण और गोरखसार ग्रन्थ भी नाथ सम्प्रदाय के प्रमाण ग्रन्थ हैं।
नाथ सम्प्रदाय बारह पंथों में विभक्त है इन बारह पंथों के कारण नाथ सम्प्रदाय को ‘बारह-पंथी’ भी कहा जाता है ।
नाथ सम्प्रदाय के बारह पंथों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है -
1- सत्यनाथ पंथ अथवा सतनाथी - इसके मूल प्रवर्तक भगवान् ब्रह्माजी थे इसीलिये सत्यनाथी पंथ के अनुयाययियों को ब्रह्मा के योगी भी कहते हैं । इस पंथ का प्रधान पीठ उड़ीसा प्रदेश का पाताल भुवनेश्वर स्थान है।
2 - राम पंथ अथवा रामके - इस पंथ के मूल प्रवर्तक भगवान् श्रीरामचन्द्र माने गये हैं । इनका प्रधान पीठ उत्तर-प्रदेश का गोरखपुर स्थान है।
3 - पागलनाथी अथवा पागलपंथी – इस पंथ के मूल प्रवर्तक श्री चौरंगीनाथ थे । जो पूरन भगत के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इसका मुख्य पीठ पंजाब- हरियाणा का अबोहर स्थान है।
4 - पावपंथ अथवा पावक -- इस पंथ के मूल प्रवर्तक शिव 18 के हैं और उत्तरार्ध प्रवर्तक जालंधरनाथ हैं। इस पंथ का मुख्य स्थान जालौर राजस्थान है।
5 - धर्मनाथ पंथ अथवा धर्मनाथी – इस पंथ के मूल प्रवर्तक धर्मराज युधिष्ठिर माने जाते हैं। धर्मनाथ पंथ का मुख्य पीठ नेपाल राष्ट्र का दुल्लुदेलक स्थान है। भारत में इसका पीठ कच्छ प्रदेश धिनोधर स्थान पर हैं।
6 - माननाथ पंथ अथवा मन्नाथी - इस पंथ के मूल प्रवर्तक राजा गोपीचन्द्रजी माने गये हैं। इस समय माननाथ पंथ का पीठ राजस्थान प्रदेश का जोधपुर महा- मन्दिर नामक स्थान बताया गया है।
7 - कपालिनी पंथ अथवा कपिल पंथ - इस पंथ को गढ़वाल के राजा अजयपाल ने चलाया। इस पंथ के प्रधान प्रवर्तक कपिल मुनिजी बताये गये हैं। कपिलानी पंथ का प्रधान पीठ बंगाल प्रदेश का गंगासागर स्थान है। कलकत्ते के पास दमदम गोरखवंशी भी इनका एक मुख्य पीठ है।
8 - गंगनाथ पंथ अथवा गंगानाथी - इस पंथ के मूल प्रवर्तक श्री भीष्म पितामह माने जाते हैं। इसका मुख्य पीठ पंजाब में गुरुदासपुर जिले का जखबार स्थान है।
9 - नाटेश्वरी पंथ अथवा दरियानाथी पंथ - इस पंथ के मूल प्रवर्तक गोरक्ष बारह माने जाते हैं तथा उत्तरार्ध प्रवर्तक लक्ष्मण नाथ जी हैं जिन्हें बाला नाथ व् नागनाथ कहते हैं। इस पंथ का मुख्य पीठ पंजाब प्रांत का गोरखटिल्ला (झेलम) स्थान है ।
10 - आई पंथ अथवा आइके - इस पंथ की मूल प्रवर्तिका गुरु गोरखनाथ की शिष्या भगवती विमला देवी हैं । आई पंथ का मुख्य पीठ बंगाल प्रदेश के दिनाजपुर जिले में जोगी गुफा या गोरखकुई नामक स्थान हैं ।
11 - वैराग्य पंथ अथवा भर्तहरि वैराग्य - इस पंथ के मूल प्रवर्तक भर्तृहरिजी हैं। वैराग्य पंथ का प्रधान पीठ राजस्थान प्रदेश के नागौर में राताढुंढा स्थान है।
12 - रावलपंथ अथवा रावलपंथी - इस पंथ के मूल प्रवर्तक गोरक्ष 12 के हैं तथा उत्तरार्ध प्रवर्तक रावलनाथ सिध्द हैं। इस पंथ का मुख्य स्थान अफगानिस्तान में गैलपुर बादर बाड़ी है।
इन बारह पंथो के अतिरिक्त निम्न उपपंथ हैं।
1 कंठड़नाथी
2 बलनाथी
3 ध्वजनाथी
4 पंखनाथी
5 वारकरी पंथ
आदेश आदेश आदेश
बहुत सुन्दर ज्ञान
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया जानकारी दी आपने
ReplyDeleteआदेश आदेश भाई जी
ReplyDeleteAADESH AADESH
ReplyDeleteAadesh aadesh bavji
ReplyDeleteIsme guru adinath...ka jikar nahi hai first nath guru jI jikar nahi na isme guru gazgaknthan nath ke panth ja jikar ..bhot kami hai isme ...
ReplyDeleteAdesh guru adinath ko...guru gajganthan nath ko
ReplyDeleteom shiv gorksh namah aadesh aadesh ji
ReplyDeleteaadrniya shriman ji aay panthi ka mukhy pith baba mastnath math abohar hariyana bhi bataya jata hai masthnath math aur bangan maa bhagawati math me kya smbandh batane ka kast karen...